PURAANIC SUBJECT INDEX पुराण विषय अनुक्रमणिका (Suvaha - Hlaadini) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
|
|
Puraanic contexts of words like Susheela, Sushumnaa, Sushena, Suukta / hymn, Suuchi / needle, Suutra / sutra / thread etc. are given here. सुवह पद्म १.४०(साध्यगण का नाम ) suvaha सुवासकुमार कथासरित् ८.२.४०९, ८.३.१३१, सुविग्रह कथासरित् १२.२५.१४४ सुविचार भविष्य ३.२.१४ सुविद्युत वराह १६ सुवीरक महाभारत कर्ण ४०.३८(सुवीरक/कांजी मांगने पर मद्र देश की स्त्रियों की प्रतिक्रिया )
सुवृता लक्ष्मीनारायण १.२०६.४६(मृगशृङ्ग की ४ पत्नियों में से एक, मृकण्डु - माता ) सुवेल भविष्य ३.३.३१.१०२(सुवेला : नागवर्मा व नागवती - पुत्री, पृथ्वीराज - पुत्र मर्दन से विवाह का वृत्तान्त), स्कन्द ६.२७१.४३८(तिल - निर्मित सुवेल पर्वत दान से कच्छप की मुक्ति का कथन), वा.रामायण ६.३८(राम सेना का सुवेल पर्वत पर आरोहण व लङ्का का निरीक्षण ), ७.५, suvela सुव्रत पद्म २.५(अदिति व कश्यप - पुत्र सुव्रत का इन्द्र पद पर अभिषेक), २.१२, २.२०, २.२१+ (सोमशर्मा व सुमना - पुत्र, धार्मिक वृत्ति, पूर्व जन्म में रुक्माङ्गद - पुत्र धर्माङ्गद, कृष्ण के दर्शन व स्तुति, इन्द्र पद प्राप्ति), ब्रह्माण्ड ३.४.१.३९(सुव्रता : दक्ष व वीरिणी - पुत्री, ४ मनु पुत्रों की जननी), मार्कण्डेय ११६, वामन ५७.७२(मित्र द्वारा कुमार को प्रदत्त गण का नाम ), स्कन्द ५.२.६३.५, suvrata सुशङ्ख पद्म २.३०(तपोरत सुशङ्ख का सुनीथा द्वारा ताडन, शाप दान), सुशर्मा पद्म ६.१७५(सुशर्मा नामक दुष्ट मनुष्य का मृत्यु - पश्चात् वृष बनना, अन्यों के पुण्य दान से मुक्ति, गीता के प्रथम अध्याय का माहात्म्य), वायु १००.६३(सुशर्मा देवगण के अन्तर्गत १२ देवों के नाम), स्कन्द २.४.२.४३टीका(गोदान माहात्म्य की कथा ), कथासरित् १.७.६०, susharmaa सुशान्ति वराह ३६, द्र. मन्वन्तर, सुशील कूर्म १.१४.२३(शिखण्डी - पुत्र, श्वेताश्वर मुनि से ज्ञान प्राप्ति), देवीभागवत ३.२७(सुशील वैश्य के चरित्र की प्रशंसा, नवरात्र व्रत से दरिद्रता से मुक्ति), ९.१.११३(शान्ति व लज्जा - पति), पद्म ६.१०९(विष्णु - पार्षद, पूर्व जन्म में चोल नृप), वराह ३६, १६५(सुशील वैश्य का प्रेत बनना, वैश्य से संवाद, पिण्डदान से मुक्ति), स्कन्द २.४.२५.९(विष्णु - पार्षद, पूर्व जन्म में चोल नृप), ६.३७(दुर्वासा को शिव मन्दिर हेतु भूमि देने पर विप्रों द्वारा सुशील का बहिष्करण, दु:शील नामकरण ), लक्ष्मीनारायण १.३४८, १.४२५, २.७८.५२, susheela/ sushila सुशीला गणेश २.४४.२०(दिवोदास - पत्नी), देवीभागवत ९.४५.२(राधा - सखी सुशीला की राधा के शाप से गोलोक से च्युति, लक्ष्मी - विग्रह में लीन होना, कालान्तर में यज्ञ - पत्नी दक्षिणा बनना), पद्म ६.१२८+ (सुशील गन्धर्व - कन्या सुशीला का अग्निप मुनि के शाप से पिशाची बनना, माघ स्नान से मुक्ति, परस्पर विवाह), ब्रह्म १.१२१(नारद द्वारा माया के दर्शन हेतु सुशीला कन्या का रूप धारण), ब्रह्मवैवर्त्त २.४२, ४.६.१४५(स्वाहा का अंशावतार), ४.९४(सुशीला द्वारा राधा को सांत्वना), भविष्य ३.४.८, शिव ५.२९.४०, स्कन्द ३.१.११(त्रिवक्र राक्षस - भार्या, शुचि ब्राह्मण से कपालाभरण राक्षस पुत्र की प्राप्ति), ४.१.७, ४.१.३४.६६(हरिस्वामी व प्रियंवदा - पुत्री, विद्याधर द्वारा हरण, जन्मान्तर में माल्यकेतु - पत्नी कलावती बनना), ७.१.२४, लक्ष्मीनारायण १.२६५.१२(अनिरुद्ध की शक्ति सुशीला का उल्लेख), १.३९१, १.४६०, २.९४.७६(अनिरुद्ध - पत्नी ), ३.५४, susheelaa सुश्यामा ब्रह्म २.३७ सुश्रवा स्कन्द १.२.२, सुश्रुत भविष्य ३.४.९, भागवत ९.१२.७(प्रसुश्रुत : मरु - पुत्र, सन्धि - पिता), वायु ८८.२१०/२.२६.२१०(प्रसुश्रुत : मनु - पुत्र, सुसन्धि - पिता, इक्ष्वाकु वंश), लक्ष्मीनारायण १.३८७ sushruta सुषुप्ति योगवासिष्ठ ६.२.१३९.१६(सुषुप्ति के कारणों का कथन ; नाडियों का अन्नपूर्ण होना आदि आदि ), ६.२.१४६ sushupti सुषुम्ना अग्नि ८५.१४(प्रतिष्ठा कला/स्वप्न की २ नाडियों में से एक), कूर्म १.४३.३५(सोम पोषक सूर्य रश्मि का नाम), २.३७.४७(हिमालय पर सुषुम्ना पुष्करिणी का माहात्म्य), ब्रह्माण्ड १.२.२८.२८, २.३.१३.१२३(सुषुम्ना पुष्करिणी का माहात्म्य), ३.४.३५.३५, मत्स्य १४१(सूर्य की सुषुम्ना किरण द्वारा चन्द्रमा की परिपूर्णता), लिङ्ग १.५६, २.४८, वायु १०८.६६/२.४६.६९(गया नाभि के सुषुम्ना होने का उल्लेख), विष्णु २.११.२२(सूर्य की सुषुम्ना रश्मि के चन्द्रमा द्वारा पान व तृप्ति का वर्णन), योगवासिष्ठ ३.७०.१२(सुषुम्ना की सूची से उपमा), लक्ष्मीनारायण १.१६१.७(स्वर्णरेखा नदी के सुषुम्ना का रूप होने का उल्लेख ), १.३११.४३, sushumnaa सुषेण कूर्म २४?, पद्म ७.५, ब्रह्माण्ड १.२.२३.१४(सुषेण ग्रामणी की सूर्य के रथ के साथ स्थिति का कथन), २.३.५.९३(मरुतों में से एक का नाम), वायु ९६.१७२(वसुदेव व देवकी - पुत्र, षड्गर्भों में से एक, कंस द्वारा वध), वा.रामायण १.१७.१५(वानर, वरुण का अंश), ४.४२(तारा - पिता सुषेण द्वारा पश्चिम दिशा में सीता अन्वेषण का उद्योग), ४.६५(सुषेण वानर की गमन शक्ति का वर्णन), ६.३०.२२(वानर, धर्म - पुत्र), ६.४२.२६(तारा - पिता सुषेण द्वारा लङ्का के पश्चिम द्वार पर युद्ध), ६.४३.१४(धर्म - पुत्र सुषेण का रावण - सेनानी विद्युन्माली से युद्ध), ६.९१.२१(सुषेण द्वारा लक्ष्मण आदि की चिकित्सा), ७.३४, महाभारत उद्योग १६०.१२३, लक्ष्मीनारायण २.२८.१८(सुषेण जाति के नागों का शाकादि कृषिकर्त्ता बनना ), कथासरित् ६.२५१, ८.७.१६३, १२.२६.१४५, १६.१.२५, द्र. रथ सूर्य sushena सुस्वधा मत्स्य १५(पितर गण, अन्य नाम आज्यप, वैश्यों द्वारा पूजा, विरजा कन्या), हरिवंश १.१८.६५(सुस्वधा पितर गण के वंश का वर्णन ) suswadhaa सुहय स्कन्द ६.६५(शत्रुओं के हाथों मृत्यु के पश्चात् कापालिक द्वारा कपाल का उपयोvग करनेv से सुहय राजा का प्रेत बनना, गङ्गा - यमुना मध्य में कपाल क्षेपण से मुक्ति ), लक्ष्मीनारायण १.५००.४१ suhaya सुहोत्र देवीभागवत ३.१०.२१(देवदत्त के पुत्रेष्टि यज्ञ में ब्रह्मा ऋत्विज बनना), ब्रह्मवैवर्त्त ४.१६(गन्धवाह - पुत्र, कमल हरण से बक बनना), लिङ्ग १.२४.२४(चतुर्थ द्वापर में मुनि ), शिव ३.४(लक्ष्मीनारायण ३.१८८.२० suhotra सुह्रदय स्कन्द १.२.६१(घटोत्कच - पुत्र बर्बरीक का उपनाम), १.२.६३(सुह्रदय द्वारा विजय की साधना में बाधक महाजिह्वा राक्षसी, रेपलेन्द्र, द्रुहद्रुह, पलाशि दैत्यों का हनन, नागलोक गमन, सिद्धसेन नाम प्राप्ति ), महाभारत उद्योग ४५.१२(सौह्रद के ६ गुणों के नाम ) suhridaya सूकर ब्रह्मवैवर्त्त २.३१.११(युग्मी गामी के सूकर योनि प्राप्ति का उल्लेख), वामन ९०.१९(सूकराचल पर विष्णु का क्ष्माधर नाम से वास), लक्ष्मीनारायण २.११७.७७(श्रीशैल पर्वत पर सूकर का वास), कथासरित् ९.३.११८, १०.३.१५८, १२.१४.१२, १६.२.३८, १८.४.९६(सूकर के कण्ठ का स्पर्श करनेv से कृपाण में रूपान्तरित होना ) sookara/suukara/ sukara सूक्त अग्नि ९६.३८(प्रतिमा प्रतिष्ठा हेतु यज्ञ में ऋत्विजों द्वारा पठनीय सूक्त), २१५.३९(वैदिक सूक्तों के ऋषि, देवता, छन्दों का कथन), २१५.४१(अघमर्षण सूक्त ऋतं च इति के ऋषि, देवता, छन्द का कथन), पद्म १.४.११४(नारद द्वारा पुरुष सूक्त द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), ६.२४५(पुरुष सूक्त), ब्रह्म २.७०.२२(यो जात एव प्रथमो मनस्वान्), २.९१(पुरुष सूक्त का ब्रह्मा के यज्ञ में विनियोग), २.१०४(, ब्रह्माण्ड १.२.८.४२(पुरुष सूक्त, ब्रह्मा के अङ्गों से पशुओं की सृष्टि), ३.४.८.५३(अन्न सूक्त), भविष्य ३.३.१२.८२(रात्रि सूक्त), ३.३.२८.३९(रात्रि सूक्त), मत्स्य ५८.३३(तडाग, आराम, कूप, मन्दिर आदि की प्रतिष्ठा में विनियोजनीय सूक्त), ९३.१३१(ग्रह शान्ति होम में प्रयुक्त सूक्त), १५४.७६(रात्रि सूक्त), २६५(प्रतिमा स्थापना में प्रयुक्त सूक्त), मार्कण्डेय ८१(रात्रि सूक्त की व्याख्या), लिङ्ग १.२७(रुद्र अर्चना हेतु सूक्त), विष्णुधर्मोत्तर २.७४(विभिन्न प्रायश्चित्तों के लिए वैदिक सूक्तों का विनियोग), २.१२८(श्रीसूक्त का माहात्म्य), २.१२९(पुरुष सूक्त का माहात्म्य), स्कन्द २.२.२९(पुरुष सूक्त), २.२.८९(देवी सूक्त), २.४.२६.१२(विष्णु सूक्त), २.४.३३.१७(पुरुष सूक्त), ५.३.१७.२९(, ६.९०.६५(अग्नि सूक्त? का महत्त्व), ६.१५४.१२(क्षुरिका सूक्त), ६.२०१(विदेश प्रवास के उपरान्त शुद्धि हेतु सूक्त), ६.२१४(जीव सूक्त, पार्वती द्वारा मल में प्राण संचार, गणपति का जन्म), ६.२३९(विष्णु की षोडशोपचार पूजा में पुरुष सूक्त का विनियोग), ६.२७८.१२८(मुख्य पठनीय सूक्त, याज्ञवल्क्य प्रोक्त), लक्ष्मीनारायण २.१५७.६५(विभिन्न सूक्तों के न्यास), ३.२१.४४(हरि सूक्त विषयक कथन ) sookta/ suukta/ suktaä सूक्ष्म देवीभागवत ७.३८(आम्रकेश्वर क्षेत्र में सूक्ष्मा देवी के वास का उल्लेख), नारद १.६६.१०७(सूक्ष्मेश की शक्ति शाल्मलि का उल्लेख), लिङ्ग १.८८.२७(अणु से सूक्ष्मतर स्थितियों के नाम), विष्णुधर्मोत्तर २.८.२८(पञ्च सूक्ष्म पुरुष के लक्षण ) suukshma/sookshma/ sukshma सूची पद्म १.१९.२५१(संसार सूत्र, तृष्णा सूची), १.१९.१३(शर्याति - कन्या सुकन्या द्वारा दर्भ सूची से वल्मीकस्थ च्यवन के चक्षुओं को भेदने का उल्लेख), योगवासिष्ठ ३.७०.१२(सुषुम्ना की सूची से उपमा), वायु ९९.२४/२.३७.२४(दर्भ सूची – जनपदों में से एक), महाभारत द्रोण ८७.२४(चक्रशकट नामक व्यूह के गर्भ में सूचीमुख व्यूह का कथन), शान्ति २१७.३६,( संसार सूत्र, तृष्णा सूची), लक्ष्मीनारायण २.११.१२(कृष्ण का कर्णवेधन करने वाली सूची का दिव्य कन्या बनना), २.११.१९ (सूची के तुन्नवाय - पुत्र दोरक की पत्नी होने का उल्लेख), २.२२७.७३(तृष्णा सूची, संसार सूत्र द्वारा वस्त्र निर्माण ) suuchee/ soochee/ suchi
सूचीमुख गरुड २.१२.३९/२.२२.३९(प्रेत के सूचीमुख नाम का कारण), देवीभागवत ८.२३.२६(नरक का नाम), पद्म १.३२(सूचीमुख प्रेत की पृथु ब्राह्मण से संवाद से मुक्ति), ब्रह्मवैवर्त्त २.३०.१२७(नरक में सूचीमुख कुण्ड प्रापक दुष्कर्म), ब्रह्माण्ड ३.४.२४.९, ३.४.२४.४४(भण्डासुर - सेनानी, काक वाहन, तिरस्करिणी देवी द्वारा वध), ३.४.२४.९६, वामन ५७.७४(यक्षों द्वारा कुमार को सूचीवक्त्र गण प्रदान का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर २.१२०.१५ (सूचक के वागुरि बनने का उल्लेख), स्कन्द ७.१.३३(बडवानल का सूचीमुख होकर समुद्र भक्षण की कथा ), योगवासिष्ठ ३.६९(कर्कटी का तप से अनायसी व आयसी जीवसूचिका बनना), ३.७०(सूची के विभिन्न रूप, ब्रह्माण्ड में भ्रमण), कथासरित् १०.४.२०७(वानरों द्वारा खद्योत को अग्नि मानकर उससे तृण जलाने का प्रयत्न, सूचीमुख पक्षी द्वारा प्रबोधन पर वानरों द्वारा सूचीमुख का नाश), भरतनाट्य ९.१८४(सूचीमुख हस्त मुद्रा का लक्षण), soocheemukha/ suchimukha सूत पद्म १.१(लोमहर्षण - पुत्र उग्रश्रवा का उपनाम, सूत जाति की पृथु राज्य में उत्पत्ति), २.२८, ब्रह्माण्ड २.३६.१७२, वायु १.१.३०, ६२, विष्णुधर्मोत्तर १.१०९.१४(पृथु के अप्तोर्याम यज्ञ में सूत की उत्पत्ति का कथन), शिव ६.१०(सूत द्वारा काशी में ऋषियों को उपदेश, तीर्थयात्रा), स्कन्द ७१२०२, हरिवंश १.५(सूत की उत्पत्ति की कथा, सूत द्वारा पृथु की स्तुति), महाभारत अनुशासन ४८.१०(सूत जाति के स्तोमपरक होने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.५, ४.७४, द्र. प्रसूति soota/suta/suuta सूतक गरुड २.२९(सूतक विधि), लक्ष्मीनारायण २.५.८६, २.२६.८६(सूतिक की व्याख्या : व्यभिचारी ब्राह्मण - ब्राह्मणी ) suutaka/ sootaka सूत्र अग्नि ३३.५(पवित्र निर्माण हेतु सूत्रों के प्रकार), नारद १.५०.१८०(स्वर सूत्र सम, व्यञ्जन मणि सम), पद्म १.१९.२५१(संसार सूत्र के तृष्णा सूची में निबद्ध होने का उल्लेख), भविष्य १.२१६.५४(पुस्तक का बन्धन करनेv वालेv सूत्र के वासुकि होने का उल्लेख ; पुस्तक में सूत्र के शंकर होने का उल्लेख आदि), २.१.७.५४(पुस्तक के सूत्र के वासुकि का प्रतीक होने का उल्लेख), ४.४६.१४(हस्त में स्वर्णसूत्रमय दोरक बांधने के माहात्म्य के संदर्भ में चन्द्रमुखी व मानमानिका की कथा), भागवत ११.२२.१३(सत्त्व, रज, तम अथवा ज्ञान, कर्म व अज्ञान के संदर्भ में स्वभाव के सूत्र होने का कथन), ११.२४.६, स्कन्द ५.३.९७.१६६(व्यास तीर्थ के संदर्भ में मन्दिर आदि के सूत्र से वेष्टन के फल का कथन), ५.३.१७२.५९(शिव मन्दिर आदि के सूत्र से वेष्टन के फल का कथन), योगवासिष्ठ ३.७०.६४(सूची के पदार्थों में सूत्रित होने का कथन), लक्ष्मीनारायण २.७७.५९(विभिन्न प्रकार के सूत्रों के दान के महत्त्व का कथन), २.२२७.७३(तृष्णा सूची व संसार सूत्र द्वारा वस्त्र का निर्माण), ३.२०३.१(तूलवायि नामक सूत्रवायक की भक्ति से भगवान् द्वारा उसके कर्मचारियों की रक्षा का वृत्तान्त ), द्र. अक्षसूत्र sootra/sutra/suutra सूनृता ब्रह्माण्ड १.२.३६.८७(धर्म व लक्ष्मी - कन्या, उत्तानपाद - पत्नी, ध्रुव - माता), भागवत ८.१.२५(धर्म - पत्नी, सत्यसेन अवतार की माता), ८.१३.२९(सत्यसहा - पत्नी, स्वधामा अवतार की माता), ११.१९.३८, मत्स्य ४.३६(उत्तानपाद - पत्नी, अपस्यति, ध्रुव आदि की माता), हरिवंश १.२.९(ध्रुव - माता, अन्य ३ पुत्रों के नाम ) soonritaa/ suunritaa / sunritaa सूर नारद १.६६.९५(सूर विष्णु की शक्ति रमा का उल्लेख ) soora/suura/ sura सूरदास भविष्य ३.४.२२(कवि, पूर्व जन्म में श्रीपति ) suuradaasa/ surdas सूरि ब्रह्माण्ड २.३.३५.१३(शिवदत्त - पुत्र सूरि द्विज द्वारा मृगी का स्मरण करते हुए मृत्यु से मृग बनना ), द्र. वेदसूरि soori/suri सूर्पाक्षी वामन ९०(घटोदर - पत्नी सूर्पाक्षी द्वारा कोशकार के पुत्र का हरण),
|