PURAANIC SUBJECT INDEX पुराण विषय अनुक्रमणिका (Suvaha - Hlaadini) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of word Stuti / prayer are given here. स्तुति अग्नि ११६.३४(गया श्राद्ध प्रसंग में गदाधर/विष्णु की स्तुति), कूर्म १.१.६९(इन्द्रद्युम्न द्वारा विष्णु की स्तुति), १.६(पृथ्वी के उद्धार पर ऋषियों द्वारा वराह की स्तुति), १.१०.४४(रुद्र द्वारा जरा रहिjत सृष्टि से विरत होने पर ब्रह्मा द्वारा रुद्र की स्तुति), १.१६.९४(शूलारोपित होने पर अन्धक द्वारा शिव की स्तुति), १.२६.७८(लिङ्गान्त अन्वेषण प्रकरण में ब्रह्मा व विष्णु द्वारा शिव की स्तुति), २.५(ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), २.१८.३४(शिव रूपी सूर्य की स्तुति), २.३१(पञ्चम शिर छेदन पर ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), २.३९(देवदारु वन में ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), २.४६.५४(कूर्म पुराण श्रवण के पश्चात् ऋषियों द्वारा कूर्म की स्तुति), गणेश २.११.३७(इन्द्र द्वारा महोत्कट गणेश की स्तुति), गरुड १.२२३(घोर मातृकाओं के शमन हेतु शिव द्वारा नृसिंह की स्तुति), गर्ग १.३.१५(गोलोक में कृष्ण के दर्शन पर देवों द्वारा कृष्ण की स्तुति), १.१०(बलराम के जन्म पर व्यास द्वारा बलराम की स्तुति), १.१६(राधा - कृष्ण के विवाह के अवसर पर ब्रह्मा द्वारा राधा व कृष्ण की स्तुति), १.२०(कृष्ण के मुख में ब्रह्माण्ड दर्शन पर दुर्वासा द्वारा कृष्ण की स्तुति), २.९(गौ व गोपों के हरण के पश्चात् ब्रह्मा द्वारा कृष्ण की स्तुति), ३.४(गोवर्धन धारण के पश्चात् इन्द्र द्वारा कृष्ण की स्तुति), ५.५(कृष्ण के दिव्य रूप के दर्शन पर अक्रूर द्वारा कृष्ण की स्तुति), ५.२१(रागों के अङ्ग भङ्ग की चिकित्सा हेतु नारद द्वारा सरस्वती की स्तुति), ६.२.२६(कालयवन के भस्म होने पर मुचुकुन्द द्वारा कृष्ण की स्तुति), ६.३.९(स्वकन्या के विवाहार्थ ब्रह्मा से पृच्छा के प्रसंग में राजा रैवत द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), ६.१२(शङ्ख रूप से उद्धार होने पर कक्षीवान् द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.३९(शिव द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.४५(गोपाङ्गनाओं द्वारा कृष्ण की स्तुति), देवीभागवत १.७(विष्णु के प्रबोधनर्थ ब्रह्मा द्वारा योगनिद्रा की स्तुति), १.१२(स्त्रीत्व से मुक्ति हेतु इला/सुद्युम्न द्वारा जगदम्बा की स्तुति), ३.४+ (त्रिदेवों द्वारा भुवनेश्वरी देवी की स्तुति), ५.२२(शुम्भ - निशुम्भ के वध हेतु देवों द्वारा देवी की स्तुति), ६.५(वृत्र से मुक्ति हेतु देवों द्वारा जगदम्बा की स्तुति), ८.१(स्वायम्भुव मनु द्वारा सृष्टि हेतु आद्या देवी की स्तुति), ८.२(ब्रह्मा द्वारा वराह की स्तुति), ९.४७(त्रिपुर दैत्य वध प्रसंग में शिव द्वारा मङ्गलचण्डी की स्तुति), ९.४९(दुग्ध प्राप्ति हेतु इन्द्र द्वारा सुरभि गौ की स्तुति), १०.१३(अरुण दैत्य के वध हेतु देवों द्वारा भ्रामरी देवी की स्तुति), १२.९(दुर्भिक्ष में ब्राह्मणों की रक्षा हेतु गौतम द्वारा गायत्री की स्तुति), नारद १.११.१९(तप के पश्चात् विष्णु के प्राकट्य पर अदिति द्वारा विष्णु की स्तुति), १.१६.६१(भगीरथ के तप से भय प्राप्ति पर देवों द्वारा महाविष्णु की स्तुति), १.१६.७८(गङ्गा की प्राप्ति हेतु भगीरथ द्वारा शिव की स्तुति), १.६२.५०(वैकुण्ठ में विष्णु के दर्शन पर शुकदेव द्वारा विष्णु की स्तुति), १.७६.११५(महाविष्णु के स्तुतिप्रिय होने का उल्लेख), २.३२.२३(विरोचन दैत्य के भय से मुक्ति हेतु देवों द्वारा विष्णु की स्तुति), २.५३+ (मोक्ष प्राप्ति हेतु इन्द्रद्युम्न द्वारा पुरुषोत्तम की स्तुति), २.६१.१(अभिषेक उत्सव पर देवों द्वारा जगन्नाथ आदि की स्तुति), २.७३(शिव की स्तुति), पद्म १.१७.३०२(इन्द्र द्वारा गायत्री की स्तुति), १.३८.३७(राम द्वारा शिव की स्तुति), १.३८.१५३(पुष्कर में राम के पुष्पक विमान की गति अवरुद्ध होने पर राम द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), १.७५(हिरण्याक्ष के वध पर देवों द्वारा विष्णु की स्तुति), ६.२४५.३०८(जल में कृष्ण के दर्शन पर अक्रूर द्वारा कृष्ण की स्तुति), ब्रह्म १.३४(पार्वती स्वयंवर प्रसंग में ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), १.३५(पार्वती के विवाह के अवसर पर देवों द्वारा शिव की स्तुति), १.५६(राजा श्वेत द्वारा वासुदेव की स्तुति), १.६९(कण्डु मुनि द्वारा विष्णु की स्तुति), २.४०.१०१(पिप्पलाद द्वारा शिव की स्तुति),२.४४(सत्र की निर्विघ्न समाप्ति हेतु देवों द्वारा गणेश की स्तुति), २.४७(आत्मज्ञान प्राप्ति हेतु दत्तात्रेय द्वारा शिव की स्तुति), २.५२(इन्द्र व बृहस्पति द्वारा हरिहर की स्तुति), २.५२(इन्द्र पद प्राप्ति हेतु धन्वन्तरि नृप द्वारा विष्णु की स्तुति), २.५४(दिति के गर्भ की शान्ति व इन्द्र के दोष की निवृत्ति के लिए कश्यप द्वारा शिव की स्तुति), २.६०(आपस्तम्ब द्वारा शिव की स्तुति), ब्रह्मवैवर्त्त १.४(सावित्री द्वारा कृष्ण की स्तुति), १.११(सूर्य द्वारा सुतपा की स्तुति), १.३०(भगवद् स्तुति), २.५५(राधा की स्तुति), २.६३(समाधि वैश्य द्वारा मूल प्रकृति की स्तुति), ३.४५(परशुराम द्वारा गणेश की स्तुति), ४.७(ब्रह्मादि, वसुदेव द्वारा कृष्ण की स्तुति), ४.२१.१७६(इन्द्र द्वारा कृष्ण की स्तुति), ४.२१.१९९(नन्द द्वारा कृष्ण की स्तुति), ४.२५.९०(दुर्वासा द्वारा नारायण की स्तुति), ४.९२.६३(उद्धव द्वारा गोकुल यात्रा पर राधा की स्तुति), ४.११३(शिशुपाल द्वारा कृष्ण की स्तुति), ब्रह्माण्ड १.२.३.२५(परशुराम द्वारा शिव की स्तुति), १.२.२५.६३(विषपान हेतु ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), २.३.४२(पार्वती की स्तुति), २.३.७२(कवि द्वारा शिव की स्तुति), ३.४.१३(देवों द्वारा ललिता देवी की स्तुति), ३.४.३०(ललिता देवी की स्तुति), भविष्य ४.११४(नल द्वारा शनि की स्तुति), भागवत १.८(कुन्ती द्वारा कृष्ण की स्तुति), ३.९(ब्रह्मा द्वारा विष्णु की स्तुति), ३.१३(ऋषियों द्वारा यज्ञवराह की स्तुति), ३.३३(देवहूति द्वारा कपिल की स्तुति), ४.६(ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), ४.७(देवों व याज्ञिकों द्वारा विष्णु की स्तुति), ४.२०(पृथु द्वारा विष्णु की स्तुति), ४.३०(प्रचेतागण द्वारा विष्णु की स्तुति), ५.१५(प्रतिहर्ता - भार्या, अज व भूमा - माता), ५.१७(शंकर द्वारा संकर्षण की स्तुति), ५.१८(अर्यमा द्वारा कच्छप की स्तुति), ५.१८(लक्ष्मी द्वारा काम की स्तुति), ५.१८(मनु द्वारा मत्स्य अवतार की स्तुति), ५.१८(पृथ्वी द्वारा वराह की स्तुति), ५.१९(हनुमान द्वारा राम की स्तुति), ६.९(देवों द्वारा नारायण की स्तुति), ७.३(हिरण्यकशिपु द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), ७.८(विभिन्न गणों द्वारा नृसिंह की स्तुति), ७.९(प्रह्लाद द्वारा नृसिंह की स्तुति), ८.३(गज द्वारा भगवान् की स्तुति), ८.५.२४(ब्रह्मा द्वारा अजित की स्तुति), ८.६(ब्रह्मा द्वारा भगवान् की स्तुति), ८.७.२०(प्रजापति द्वारा शिव की स्तुति), ८.१२(शिव द्वारा श्रीहरि की स्तुति), ८.१७(ब्रह्मा द्वारा वामन की स्तुति ), ८.२४(सत्यव्रत द्वारा मत्स्य की स्तुति), ९.५(अम्बरीष द्वारा सुदर्शन चक्र की स्तुति), ९.८(अंशुमान् द्वारा कपिल की स्तुति), १०.२(शिव व विष्णु द्वारा देवकी के गर्भ की स्तुति), १०.३(वसुदेव व देवकी द्वारा बाल कृष्ण की स्तुति), १०.१०(कुबेर - पुत्र व यमलार्जुन द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.१४(ब्रह्मा द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.१६(कालिय नाग की पत्नियों द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.२७(इन्द्र द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.३७(नारद द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.४०(अक्रूर द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.४८(अक्रूर द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.५१(कालयवन द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.५९(नरकासुर वध के प्रसंग में पृथ्वी द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.६३(बाणासुर से युद्ध के प्रसंग में ज्वर द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.६३(बाण से युद्ध के प्रसंग में शंकर द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.८४(कुरुक्षेत्र यात्रा प्रसंग में मुनिगण द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.८५(वसुदेव द्वारा कृष्ण व बलराम की स्तुति), १०.८६(कृष्ण के मिथिला गमन के प्रसंग में श्रुतदेव व बहुलाश्व द्वारा कृष्ण की स्तुति), १०.८७(श्रुतियों द्वारा अजित की स्तुति), ११.६(देवों द्वारा कृष्ण की स्तुति), १२.८(मार्कण्डेय द्वारा नर व नारायण की स्तुति), १२.१०(मार्कण्डेय द्वारा शिव की स्तुति), मत्स्य १५४.६(तारक वध हेतु देवों द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), १५४.२६०(कामदहन प्रसंग में रति द्वारा शिव की स्तुति), १५८(वीरक द्वारा पार्वती की स्तुति), १५९.४०(देवों द्वारा स्कन्द की स्तुति), १९३.३४(भृगु के कोप की परीक्षा के प्रसंग में भृगु द्वारा शिव की स्तुति), २४४(इन्द्र की प्रतिष्ठा हेतु अदिति द्वारा विष्णु की स्तुति), २४५(ब्रह्मा व प्रह्लाद द्वारा वामन की स्तुति), मार्कण्डेय ८१(ब्रह्मा द्वारा योगनिद्रा की स्तुति), ८४(देवों द्वारा देवी की स्तुति), ८५(देवों द्वारा विष्णुमाया की स्तुति), ९१(देवों द्वारा नारायणी देवी की स्तुति), १०३(ब्रह्मा द्वारा आदित्य की स्तुति), लिङ्ग १.३२(ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), १.४१.२८(ब्रह्मा द्वारा शिव/नीललोहित की स्तुति), १.९५(हिरण्यकशिपु वध के पश्चात् देवों द्वारा नृसिंह की स्तुति), १.९५.३५(नृसिंह के घोर रूप की शान्ति हेतु ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), १.९६(नृसिंह के घोर रूप के निग्रह पर नृसिंह द्वारा वीरभद्र की स्तुति), १.१०४(देवों द्वारा शिव की स्तुति), वराह ७३(शिव द्वारा विष्णु की स्तुति), ९५(देवों द्वारा वैष्णवी देवी की स्तुति), ९६( रुद्र द्वारा चामुण्डा की स्तुति), ११३(पृथ्वी द्वारा केशव की स्तुति), १४४(चन्द्रमा द्वारा शिव की स्तुति), १४८स्तुतिस्वामि, १९८(नचिकेता द्वारा यम की स्तुति), २१३(नन्दी द्वारा शिव की स्तुति), वामन ३(शिव द्वारा नारायण की स्तुति), २७(अदिति द्वारा विष्णु की स्तुति), ३२(मार्कण्डेय द्वारा सरस्वती की स्तुति), ४०(वसिष्ठ द्वारा सरस्वती की स्तुति), ४४(ऋषियों द्वारा शिव की स्तुति), ४७(वेन द्वारा शिव की स्तुति), ४९(ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ५६(देवों द्वारा मातृकाओं की स्तुति), ६५.१२१(कन्याओं द्वारा शिव की स्तुति), ६९(शुक्र द्वारा शिव की स्तुति), ७०(अन्धक द्वारा पार्वती की स्तुति), ८५.५५(मुनि पुत्र द्वारा अग्नि की स्तुति), ९२(ब्रह्मा द्वारा वामन की स्तुति), ९३(बलि द्वारा सुदर्शन चक्र की स्तुति), वायु ५४.६५(कालकूट विष पान हेतु ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ५५.३०(लिङ्गान्त दर्शन में असफलता पर ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), विष्णु १.४.१२(जल से उद्धार हेतु पृथिवी द्वारा वराह की स्तुति), १.९.४०(समुद्र मन्थन से पूर्व असुरों से त्राण हेतु देवों द्वारा विष्णु की स्तुति), १.१२.५१(ध्रुव द्वारा विष्णु की स्तुति), १.१४.२२(प्रचेतागण द्वारा गोविन्द/विष्णु की स्तुति), १.१९.६३(समुद्र में पतन पर प्रह्लाद द्वारा अच्युत/विष्णु की स्तुति), १.२०.९(समुद्र से उद्धार होने पर प्रह्लाद द्वारा पुरुषोत्तम/विष्णु की स्तुति), ५.१.३४(पृथ्वी के भार हरण की प्रार्थना हेतु ब्रह्मा द्वारा विष्णु की स्तुति), ५.२(गर्भ में कृष्ण को धारण करनेv पर देवों द्वारा देवकी की स्तुति), ५.१८.४८(यमुना जल में कृष्ण के दर्शन पर अक्रूर द्वारा कृष्ण की स्तुति), ५.२३.२८(कालयवन के भस्म होने पर मुचुकुन्द द्वारा कृष्ण की स्तुति), ५.३०.५(नरकासुर वध पर कुण्डलों की प्राप्ति पर अदिति द्वारा कृष्ण की स्तुति), विष्णुधर्मोत्तर १.२७(शक्र आदि द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), १.२८(शक्र द्वारा शिव की स्तुति), १.२९(शिव द्वारा चन्द्रमा की स्तुति), १.३०(शिव द्वारा सूर्य की स्तुति), १.७१(परशुराम द्वारा वरुण की स्तुति), १.१९४(गज द्वारा विष्णु की स्तुति), २.१५७(शक्र, शक्रध्वज स्तुति), ३.१२२(कामना अनुसार देव स्तुति), स्कन्द १.१.५(ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), १.१.२२(देवों द्वारा शिव की स्तुति), १.२.२९(विश्वामित्र द्वारा १०८ नामों से कुमार की स्तुति), १.२.५१(कमठ द्वारा जयादित्य की स्तुति), २.१.२०(भद्रमति द्वारा भगवान् की स्तुति), २.१.२३(चक्र तीर्थ में पद्मनाभ द्विज द्वारा श्रीनिवास व सुदर्शन चक्र की स्तुति), २.२.१(ब्रह्मा द्वारा विष्णु की स्तुति), २.२.५(पुण्डरीक व अम्बरीष द्वारा जगन्नाथ की स्तुति), २.२.१२(इन्द्रद्युम्न द्वारा कोटिलिङ्गेश की स्तुति), २.२.१२(इन्द्रद्युम्न द्वारा नीलमाधव की स्तुति), २.२.१२(शिव द्वारा विष्णु की स्तुति), २.२.१५(इन्द्रद्युम्न द्वारा पुरुषोत्तम की स्तुति), २.२.१६(इन्द्रद्युम्न द्वारा नृसिंह की स्तुति), २.२.१७(इन्द्रद्युम्न द्वारा नीलमाधव की स्तुति), २.२.२०(इन्द्रद्युम्न द्वारा जगन्नाथ की स्तुति), २.२.२७.१५(इन्द्रद्युम्न द्वारा प्रतिष्ठित मूर्ति के प्रसंग में ब्रह्मा द्वारा नारायण की स्तुति), २.२.२८(ब्रह्मा द्वारा नृसिंह की स्तुति), २.२.३५(पुरुषोत्तमादि की स्तुति), २.३.२(सर्वभक्षी दोष से मुक्ति हेतु अग्नि द्वारा नारायण की स्तुति), २.३.३(बदरी क्षेत्र में नारद द्वारा नारायण की स्तुति), २.३.४(बदरी क्षेत्र में गरुड द्वारा नारायण की स्तुति), २.३.५(बदरी क्षेत्र में ब्रह्मा द्वारा नारायण की स्तुति), २.३.६(ब्रह्मा द्वारा विष्णु की स्तुति), २.७.१६(वैशाख माहात्म्य में पुरुयशा द्वारा विष्णु की स्तुति), २.८.१(विष्णुशर्मा द्वारा विष्णु की स्तुति), २.८.४(धर्म द्वारा विष्णु की स्तुति), २.८.६(शिव द्वारा विष्णु की स्तुति), २.८.७(घोष द्वारा सूर्य की स्तुति), ३.१.२(सेतुबन्धन प्रसंग में समुद्र द्वारा राम की स्तुति), ३.१.३(गालव द्वारा विष्णु व सुदर्शन चक्र की स्तुति), ३.१.२४(पञ्चम शिर छेदन प्रसंग में ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ३.१.४४(रावण वध के पश्चात् अगस्त्य द्वारा राम की स्तुति), ३.१.४६(लिङ्ग स्थापना प्रसंग में हनुमान द्वारा राम व सीता की स्तुति), ३.१.४९(रामादि द्वारा रामेश्वर की स्तुति), ३.२.४(धर्म द्वारा शिव की स्तुति), ३.३.१४(भद्रायु परीक्षा प्रसंग में भद्रायु द्वारा शिव की स्तुति),४.१.२.३०( विन्ध्य से त्रस्त होने पर देवों द्वारा ब्रह्मा की स्तुति), ४.१.५(अगस्त्य द्वारा महालक्ष्मी की स्तुति), ४.१.२१(ध्रुव द्वारा विष्णु की स्तुति), ४.१.२५(अगस्त्य द्वारा कार्तिकेय की स्तुति), ४.२.५७.१७(शिव द्वारा गणेश की स्तुति), ४.२.६०(पञ्चनद तीर्थ में अग्निबिन्दु मुनि द्वारा विष्णु की स्तुति), ४.२.६३(जैगीषव्य द्वारा शिव की स्तुति), ४.२.७२.३७(दुर्ग दैत्य के वध पर देवों द्वारा विन्ध्यवासिनी देवी की स्तुति), ४.२.७३.१०१(ब्रह्मा द्वारा ओङ्कारेश्वर लिङ्ग की स्तुति), ४.२.७४(दुर्ग दैत्य वध प्रसंग में देवों द्वारा दुर्गा की स्तुति), ४.२.९५(व्यास की भुजा व वाक् स्तम्भन के प्रसंग में व्यास द्वारा शिव की स्तुति), ५.१.२(तम विनाश हेतु ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ५.१.३२(अर्जुन द्वारा सूर्य की स्तुति), ५.१.३८(अन्धक द्वारा शिव की स्तुति), ५.१.५१.३४(शिव भिक्षा प्रसंग में अमृत की पुन: प्राप्ति हेतु नागों द्वारा शिव की स्तुति), ५.१.५५(अगस्त्य द्वारा विन्ध्यवासिनी की स्तुति), ५.२.६५.२०(, ५.३.१२(ऋषियों द्वारा नर्मदा की स्तुति), ५.३.१६(संहार काल में ब्रह्मा द्वारा शिव की स्तुति), ५.३.१९(संहार काल में मार्कण्डेय द्वारा नर्मदा की स्तुति), ५.३.२०.२५(संहार काल में मार्कण्डेय द्वारा विष्णु की स्तुति), ५.३.२६.१६, ५.३.२८(त्रिपुर दाह प्रसंग में बाण द्वारा शिव की स्तुति), ५.३.३९.१५, ५.३.४८.१५, ५.३.८५.१७, ५.३.१८१(शिव द्वारा भृगु के कोप की परीक्षा के प्रसंग में भृगु द्वारा शिव की स्तुति), ५.३.१८६(अजरता - अमरता प्राप्ति हेतु गरुड द्वारा चामुण्डा की स्तुति), ५.३.१९२.४६(काम व अप्सरा आदि द्वारा नर - नारायण की स्तुति), ६.५४(नल द्वारा चर्ममुण्डा की स्तुति), ६.१७८(दुर्वासा द्वारा पद्मावती को उमा - महेश्वर स्तुति का कथन), ६.२५४(शिव द्वारा ताण्डव नृत्य पर पार्वती द्वारा शिव की स्तुति), ७.१.११(देवों व बालखिल्यों द्वारा सूर्य की स्तुति), ७.१.४९(दशरथ द्वारा शनि की स्तुति), हरिवंश १.४६(इन्द्र द्वारा चन्द्रमा की स्तुति), २.३(योगनिद्रा या आर्या देवी की स्तुति), २.१४.३४(कृष्ण द्वारा बलराम की स्तुति), २.१९(इन्द्र द्वारा कृष्ण की स्तुति), २.५२.५६(भीष्मक द्वारा कृष्ण की स्तुति), २.७२(कश्यप द्वारा शिव की स्तुति), २.७४(कृष्ण द्वारा बिल्वकेश्वर शिव की स्तुति), २.१०७(प्रद्युम्न द्वारा पार्वती की स्तुति), २.१२१(कृष्ण द्वारा गरुड की स्तुति), २.१२७(वरुण द्वारा कृष्ण की स्तुति), ३.४७(ब्रह्मा द्वारा नृसिंह की स्तुति), ३.६२(बृहस्पति द्वारा अग्नि की स्तुति), ३.६८(कश्यप द्वारा विष्णु की स्तुति), ३.७६(देवों द्वारा कृष्ण की स्तुति), ३.८२(घण्टाकर्ण द्वारा विष्णु की स्तुति), ३.८७(कृष्ण द्वारा शिव की स्तुति), ३.८८(शिव द्वारा विष्णु की स्तुति), ३.१११(दुर्वासा द्वारा कृष्ण की स्तुति), योगवासिष्ठ ५.३६(आत्म स्तुति), वा.रामायण ६.११७(रावण वध के पश्चात् ब्रह्मा द्वारा राम की स्तुति), लक्ष्मीनारायण १.५०.६(जल से पृथ्वी के उद्धार के लिए ब्रह्मा द्वारा नारायण की स्तुति), १.५०.२८(पृथ्वी के उद्धार पर देवों द्वारा यज्ञवराह की स्तुति), १.७८(ब्रह्मा द्वारा धन्वन्तरि की स्तुति), १.१४०.५२(हिरण्यकशिपु के वध पर देवों द्वारा नृसिंह की स्तुति), २.१६२.८८(शतोढु द्वारा कपिल की स्तुति), २.२१२.३७(यज्ञान्त में अग्नि की स्तुति), ३.४.२, ३.११५.६९(भण्डासुर के वध हेतु देवों द्वारा महालक्ष्मी की स्तुति), ३.११८.१७(भण्डासुर के वध पर देवों द्वारा महालक्ष्मी की स्तुति ), द्र. शिवनाम स्तुति stuti
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