PURAANIC SUBJECT INDEX पुराण विषय अनुक्रमणिका (Suvaha - Hlaadini) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Homa, Holi, Hrida, Hree etc. are given here. होत्र द्र. आविर्होत्र, वीतिहोत्र, शालिहोत्र, सुहोत्र होम अग्नि २१, २४(होम कार्य विधि), ३४, ६०, ७५(शिव पूजा के अङ्गभूत होम की विधि), ७९(शिवहोम, गुरु होम), ८१.४८(विभिन्न कामनाओं की पूर्ति हेतु होम द्रव्य), ८२(शिव होम), ९६(प्रतिमा प्रतिष्ठा हेतु याग विधि), १३४, १३८, १४९(होम प्रकार, भेद व फल, राज्य प्राप्ति हेतु लक्ष कोटि होम), १६४(नवग्रह होम विधि), १६६(अयुत लक्ष कोटि होम), १९६, २१५.२५(कामना अनुसार होम द्रव्य का होम), २६०.१(कामना अनुसार होम द्रव्य का कथन), २६२, २६४, २६५, २६६, २६७, ३०६.१९(होम द्रव्य अनुसार कामना सिद्धि), ३०७(विष्णु होम), ३०९.१५(कामना अनुसार होम द्रव्य), ३१८(गणपति होम), ३२१(उत्पात प्रकार अनुसार होम द्रव्य), ३४८, गरुड १.२०८(वैश्वदेव होम विधि), देवीभागवत ११.२२(प्राणाग्नि होत्र विधि), ११.२४(रोग शान्ति हेतु होम), नारद १.७१.८०(नृसिंह होम में विभिन्न समिधाओं के होम के फल), १.७४.५५(हनुमान मन्त्र अनुष्ठान में होम से कामना सिद्धि का वर्णन), १.७६.३१(कार्तवीर्य नृप हेतु होम में कामना अनुसार होम द्रव्य), १.८७, १.९०.१११(विभिन्न होम द्रव्यों से कामनाओं की सिद्धि), ब्रह्माण्ड २.३.११.९९(होम अग्नि का स्वरूप), भविष्य १.२१२(सूर्य होम), २.१.१४(अग्नि ज्वालाओं के अनुसार विभिन्न होम), २११६, २.१.१७.३(लक्ष होम व कोटि होम में अग्नि के नाम क्रमश: वह्नि व हुताशन), २.१.१८(होमार्थ अग्नि व विभिन्न द्रव्यों के नाम), २.१.१९(होम के पात्र), २१२०, ४.१४१(ग्रह शान्ति हेतु लक्ष होम विधि), ४.१४२(कोटि होम विधि, सनक - संवरण संवाद), ४.१४५(नक्षत्र होम विधि), मत्स्य ९३(नवग्रह शान्ति हेतु होम), लिङ्ग २.२५(शिव होम विधि), २.५०.३२(शत्रु नाशकर होम), वराह ५७, विष्णुधर्मोत्तर १.९२(होम की तन्त्र सम्मत विधि), १.१०१(ग्रह नक्षत्रों के लिए होम द्रव्य), २.१२७(होम से शान्ति, शत्रुनाश, लाभ आदि), ३.९८(प्रतिमा प्रतिष्ठा हेतु होम), ३.१०९(होम विधि), ३.२८७(होम विधि), शिव ६.३(विरजा होम), ६.१३(प्रणव जप अधिकारार्थ विरजा होम), ७.२.२७(होम में द्रव्य संख्या, कुण्ड), ७.२.३२.४२(कामना अनुसार होम), स्कन्द २.४.१२.१०१(रक्षा होम, धात्री होम), ५.३.१५७.१३(, ६.२५(सुरापान पाप से मुक्ति हेतु मौञ्जी होम), लक्ष्मीनारायण १.४१(पितरों से लिए होम विधि), १.२५३.१(वास्तुस्थ देवता इत्यादि होम विधि), २.१०६.४९होमायन, २.१५२.६८(नवग्रह, लोकपाल, दिक्पाल होम विधि), २.१५३, २.१५४, ३.१४८, द्र. स्तोकहोम homa होरा लक्ष्मीनारायण २.१३.८ hora होली नारद १.१२४.७६(होलिका पूजन पूर्णिमा व्रत विधि), भविष्य ४.१३२, लक्ष्मीनारायण १.२८१होलिका holi/holee ह्रद गरुड १.८१.२३(ज्ञान ह्रद में ध्यान जल), नारद २.५५(मार्कण्डेय ह्रद), पद्म ३.२६, ब्रह्माण्ड २.३.११.५२(शिव ह्रद), २.३.१३.७३(ब्रह्मतुण्ड ह्रद), भविष्य २.३.५(ह्रद प्रतिष्ठा), वराह १४३(गुह्य ह्रद), १४५(देव ह्रद), १५७(भाण्ड ह्रद), वामन ३५(परशुराम द्वारा रक्त से पूरित राम ह्रद, पितर तर्पण), स्कन्द १.२.४२.१६२(सात आध्यात्मिक ह्रदों के नाम), २.३.१, ५.३.२१८.३८(, ७.३.३५(मामु ह्रद का माहात्म्य), लक्ष्मीनारायण २.२७२.४०(अश्वपाटल नृप के ब्रह्मह्रद का अवतार होने का उल्लेख), कथासरित् ९.६.१२१(अनन्त ह्रद में चन्द्रस्वामी ब्राह्मण द्वारा स्नान ) hrada ह्रस्व लिङ्ग १.९०.५८(ओंकार की तीन मात्राओं के ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत होने का कथन), विष्णुधर्मोत्तर २.८.२८(चतुर्ह्रस्व पुरुष के लक्षण )hrasva ह्रांह्रींह्रूं अग्नि ८८.४७(शान्त्यतीत कला शोधन के अन्तर्गत हां आदि के साथ ६ गुणों का योग, हं आदि बीजों के गुण ), पद्म ५.७२.५६(मुनि-द्वय द्वारा ह्रींहंस इत्यादि के जप से व्रज में सुवीरगोप की कन्या-द्वय बनने का कथन), ६.७१.१२०(ह्रां ह्रीं आदि मन्त्र के पाठ के पश्चात् विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का निर्देश), *भवबन्धमोचनायेति ह्रीमिति व्याहरेत्। - दत्तात्रेयोपनिषत् 2 द्र. हां हीं हूं
ह्राद ब्रह्माण्ड ३.५.३४, भागवत ६.१८(हिरण्यकशिपु व कयाधु - पुत्र, धमनि - पति, वातापि व इल्वल - पिता), वराह ८७(ह्रादिनी : द्रोण पर्वत की नदी ), वामन ६९, स्कन्द ७.१.२१, द्र. दुन्दुभिनिर्ह्राद, निर्ह्राद, संह्राद hraada ह्री कूर्म १.२४.५५(ह्रीमती : आनकदुन्दुभि - कन्या, सुबाहु गन्धर्व से पुत्र प्राप्ति), नारद १.६६.१२४(विघ्नेश की शक्ति ह्री का उल्लेख), भागवत ४.१.४९(दक्ष - कन्या, धर्म - पत्नी, प्रश्रय - माता), महाभारत वन ३१३.८७ (ह्रीरकार्यनिवर्तनम्), लक्ष्मीनारायण १.३२३.५३(दक्ष व असिक्नी - कन्या, धर्म - पत्नी, नियम - माता ), २.२४५.४९(जीवरथ में ह्री के वरूथ होने का उल्लेख), hree
ह्रीं भविष्य ३.३.३०.१५(ह्रीं फट् घे घे मन्त्र जप से विघ्न नाश का कथन ) hreem ह्लाद वामन ७४.१३(ह्लाद द्वारा अग्नि के कार्य का ग्रहण), विष्णुधर्मोत्तर १.४३.२(ह्लाद शब्द की उपमा ), द्र. ह्राद hlaada ह्लादिनी ब्रह्माण्ड १.२.१८.८०(प्राची गङ्गा का नाम, तटवर्ती जनपदों के नाम), मत्स्य १२२, विष्णुधर्मोत्तर १.२१५(ह्लादिनी नदी का सर/नर वाहन ) hlaadinee/ hladini
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