PURAANIC SUBJECT INDEX पुराण विषय अनुक्रमणिका (Suvaha - Hlaadini) Radha Gupta, Suman Agarwal & Vipin Kumar
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Puraanic contexts of words like Stree / lady, Sthaanu, Snaana / bath etc. are given here. स्तोम महाभारत अनुशासन ४८.१०(सूत के स्तोमक्रियापरक होने का उल्लेख ) stoma स्त्री अग्नि १६५.६(बलात्कार आदि के कारण स्त्री की अशुद्धि या शुद्धि का प्रश्न), २२४(अनुरागिणी व पति से विरक्त स्त्री के लक्षण), २४४(स्त्री के शुभाशुभ शरीर लक्षण), २५६, गरुड १.५५.१५(पश्चिम् में स्त्री राज्य), १.६४(स्त्री के शुभाशुभ शरीर लक्षण), १.६५(स्त्री के सामुद्रिक लक्षणों का कथन), १.१८५.६(स्त्री वशीकरण ओषधि योग), गर्ग १०.१७(स्त्री राज्य की अधिपति सुरूपा का अनिरुद्ध - प्रिया बनना), नारद १.५६.३१२(स्त्री के प्रथम रजोदर्शन काल का शुभ - अशुभ ज्योतिष विचार), पद्म ६.७७.४५(रजस्वला स्त्री के दोष), ब्रह्मवैवर्त्त १.२३(नारद द्वारा वर्णित स्त्री स्वभाव), २.५८(परस्त्री गमन दोष, चन्द्र पाप प्राप्ति), ४.५९(रजस्वला स्त्री से भोग निषेध), ४.८४(उत्तम, मध्यम आदि स्त्रियों के लक्षण), ब्रह्माण्ड १.२.७.७८(स्त्री में आर्तव उत्पत्ति), भविष्य १.५(स्त्री के शुभ - अशुभ लक्षण), १.८(स्त्री के दुष्टादुष्ट स्वभाव का परीक्षण), १.९(पतिव्रता स्त्री के करणीय कर्म), १.१०(स्त्री के दुjर्वृत्त का वर्णन), १.११+ (स्त्री हेतु गृहधर्म विधि), १.२८(स्त्री के शुभाशुभ शरीर लक्षण), १.१८४.२(वेद विक्रय से प्राप्त धन स्त्री के लिए ग्राह्य? होने का उल्लेख), ३.३.३१.२८, ४.५२(मृतवत्सा को जीववत्सा बनाने के लिए संस्कार), भागवत ५.२४(कामिनी स्त्री आदि की बल की जम्भाई से उत्पत्ति), ६.५.७(व्यभिचारिणी स्त्री), ६.९(स्त्री द्वारा इन्द्र से ब्रह्महत्या का ग्रहण), ७.११(स्त्री के कर्तव्य), मार्कण्डेय ३५(मदालसा - कथित स्त्री धर्म), वराह ६८(अगम्या स्त्री), १४२, विष्णु ३.११.११४(स्त्री गमन हेतु काल व नियम), ६.२.२५(कलियुग में स्त्रियों की धन्यता), विष्णुधर्मोत्तर २.९(स्त्री के लक्षण), २.३३(पतिव्रता स्त्री के लक्षण), २.३४(स्त्री धर्म), २.३५(स्त्री द्वारा पूजनीय देवता), २.५२(स्त्री चिकित्सा का वर्णन), २.६२(रतिप्रिया स्त्री के लक्षण), ३.११९.८( ओषधि समारम्भ में कूर्म या स्त्रीरूप/ मोहिनी? की पूजा का निर्देश ), ३.३२२(स्त्री धर्म), शिव ५.२४.२(पञ्चचूडा - प्रोक्त स्त्री स्वभाव), स्कन्द ४.१.३७(स्त्री के शुभाशुभ शरीर लक्षण), ६.१४४(जाबालि - फलवती संवाद में स्त्री की निन्दा - स्तुति), ६.१५८(मणिभद्र द्वारा स्त्री की गर्हणा), महाभारत अनुशासन १२.४९, ३९, योगवासिष्ठ १.२१(स्त्री के दोष/स्त्री निन्दा ; मनुष्य रूपी हाथी के लिए स्त्री रूप स्तम्भ), लक्ष्मीनारायण १.६९(स्त्री शरीर के चिह्नों/लक्षणों के अनुसार प्रकृति का ज्ञान), १.४६१, १.५४७, ३.१३.८४, ३.१४, ३.४०, ३.९२.३९ (राजा भङ्गास्वन द्वारा सरोवर में स्नान मात्र से स्त्री बनने तथा उसके पश्चात् का वृत्तान्त, स्त्री के गुण - दोषों का वर्णन), ३.१५४.२०, ४.४४.६१, कथासरित् ८.४.१०४(स्त्रियों के विभिन्न गुणों का कथन ), द्र. वरस्त्री stree/ stri स्त्री - पुरुष भागवत ५.१७.१५(इलावृत वर्ष में केवल भगवान् भव के ही पुमान होने तथा अन्यों के स्त्री हो जाने का कथन), मार्कण्डेय १११.८/१०८.८(मनु - पुत्री इला के पुरुष व स्त्री बनने व सन्तान उत्पन्न करनेv का वृत्तान्त ) stree – purusha/ stri - purusha स्थण्डिल भागवत ११.११.४५(स्थण्डिल/मिट्टी की वेदी में मन्त्रह्रदय द्वारा विष्णु की उपासना का निर्देश), लक्ष्मीनारायण ३.११२.८७(स्थण्डिलघोष द्वारा योगिनी ब्रह्मसती का अपहरण, ज्ञान प्राप्ति पर शिव का गण बनना ) ‹ स्थल वायु ४३.२०(महास्थल : भद्राश्व देश के जनपदों में से एक), स्कन्द ४.२.७८.६०(स्थलचरी देवी द्वारा वक्ष स्थल की रक्षा), लक्ष्मीनारायण २.२०६.३२(स्थल मातृका ), द्र. क्रतुस्थली, पुञ्जिकस्थला, यज्ञस्थल sthala स्थविर स्कन्द ५.१.३१.८६(स्थविर विनायक का माहात्म्य ) sthavira स्थविश्व ब्रह्म २.६८.२(शर्याति - भार्या ) ‹ स्थाणु ब्रह्मवैवर्त्त १.१९.५१(स्थाणु शिव से स्वप्न व जागरण में रक्षा की प्रार्थना), ब्रह्माण्ड १.२.९.८९(रुद्र के स्थाणु नाम का कारण), ३.४.४४.४९(लिपि न्यास प्रसंग में एक व्यंजन के देवता), भविष्य ४.१७८(अपत्यहीन शिव का रूप), मत्स्य १३, वराह २१३,वामन ४३+ (लिङ्ग स्थापना से निर्मित स्थाणु तीर्थ व वट), ४५+ (स्थाणु तीर्थ व लिङ्ग का माहात्म्य), ४७(वेन व पृथु के प्रसंग में स्थाणु का माहात्म्य), ५७.६३(ब्रह्मा द्वारा स्कन्द को प्रदत्त गण), ९०.१७(कुरुजाङ्गल में विष्णु का स्थाणु नाम से वास), स्कन्द १.२.२.४१(स्थाणु दान), ३.३.१२.२१(स्थाणु शिव से बहि: स्थिति में रक्षा की प्रार्थना), ४.२.६९.७(स्थाणु लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ) sthaanu स्थान ब्रह्माण्ड १.१.५.६५(ब्रह्मा द्वारा सृष्ट स्थान - अभिमानी देवों का कथन, स्थानिकों की परिभाषा), विष्णुधर्मोत्तर ३.२३(अभिनय में स्थान ), स्कन्द ५.३.१९८.६८, द्र. जनस्थान sthaana स्थाली अग्नि ८१.५८(स्थाली में चरु पाक विधि), ब्रह्म २.२३, भविष्य ४.१७०(स्थाली दान विधि, द्रौपदी द्वारा स्थाली दान), विष्णु ४.६.७७, स्कन्द ४.१.४९(सूर्य द्वारा द्रौपदी को स्थाली प्रदान ), योगवासिष्ठ ३.१०१, लक्ष्मीनारायण २.२२५.९४, sthaalee/ sthali स्थावर अग्नि ८४.३२(६ मृग योनियों में पंचम), गणेश १.६३.८(स्थावर नगर में कौण्डिन्य मुनि की कथा), नारद १.६६.१०८(स्थावरेश की शक्ति दीर्घजिह्वा का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.१.५.६१(स्थावरों में ब्रह्मा के विपर्यय द्वारा स्थित होने का उल्लेख), वायु १.६.५७/६.६१(चतुर्थ मुख्य सर्ग के स्थावर नाम का उल्लेख), स्कन्द ५.२.५०.२४(शनि द्वारा पूजित स्थावरेश लिङ्ग का माहात्म्य), महाभारत आदि १२७.५७(जङ्गम विष द्वारा स्थावर विष के नाश का कथन), अनुशासन ५८.२३, आश्वमेधिक २१.१६(मन के स्थावर व जङ्गम प्रकारों का कथन), २१.२६(स्थावरत्व की दृष्टि से मन और जङ्गमत्व की दृष्टि से वाक् के श्रेष्ठ होने का कथन ) sthaavara/ sthavara स्थिति गरुड १.२१.३, योगवासिष्ठ ४.१, लक्ष्मीनारायण ३.३०.४६(स्थिति के तीन साधनों मैत्री, मान व यश का उल्लेख ) sthiti स्थिर वामन ५७.६६(वेधा द्वारा स्कन्द को प्रदत्त गण), कथासरित् ८.२.३८३स्थिरबुद्धि, ८.७.३२स्थिरबुद्धि, स्थूण योगवासिष्ठ १.१८.२२(देह गृह में मिथ्या महामोह के स्थूण होने का उल्लेख ) sthoona/sthuuna/ sthuna स्थूणाकर्ण अग्नि २४२, हरिवंश २.१२२.३८, ३.५४.७, स्थूलकर्ण स्कन्द ४.२.५३.१२३(स्थूलकर्णेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य), ४.२.७४.५५(स्थूलकर्ण गण की काशी में असि पार स्थिति ) sthoolakarna/sthuulakarna/ sthulakarna स्थूलकेश देवीभागवत २.८(स्थूलकेश मुनि द्वारा प्रमद्वरा कन्या का पालन), स्कन्द ४.१.४५.३९(स्थूलकेशी : ६४ योगिनियों में से एक ), कथासरित् २.६.७८, sthoolakesha / sthuulakesha/ sthulakesha स्थूलजङ्घ स्कन्द ४.२.५७.१११(स्थूलजङ्घ गणपति का संक्षिप्त माहात्म्य), स्थूलदत्त स्कन्द ४.२.५७.९८(स्थूलदन्त गणेश का संक्षिप्त माहात्म्य), कथासरित् ६.४/९४स्थूलदत्त, स्थूलबाहु कथासरित् १२.२.१८, १२.२४.१४, स्थूलभुज कथासरित् ९.२.७० स्थूलशिरा वराह ५(अश्वशिरा - पुत्र), वा.रामायण ३.७१.३(स्थूलशिरा ऋषि के शाप से कबन्ध का कुरूप बनना ), कथासरित् १.२.१८, ९.६.९४, sthoolashiraa/ sthulashira स्थूलाक्ष वा.रामायण ३.२३.३३, ३.२६.१७(खर - सेनानी, राम द्वारा वध),
स्नान अग्नि २२(अघमर्षण स्नान), ५८(देवता स्नान), ६१.१(अवभृथ स्नान का वर्णन), ६८(तीर्थों में स्नान), ६९(तीर्थों में स्नान), ७२(स्नान के प्रकार व विधि), १५५(स्नान मन्त्र), १५५(षोढा स्नान), २२४(स्नान द्रव्य), २३६(विजय स्नान), २६५(काम्य स्नान विधि), २६५(दिक्पाल स्नान विधि), २६६(स्नान से अनपत्यनाश, दु:स्वप्न नाश), २६६(विनायक विघ्न शान्ति हेतु स्नान विधि), २६७.२(माहेश्वर स्नान विधि), २६७.७(कामना अनुसार स्नान विधान), २६७(विष्णु स्नान), २६७(विष्णुपादोदक स्नान), कूर्म २.१८.१०( स्नान के प्रकार), गणेश १.६९.२३(गणेश हेतु स्नान मन्त्र : यत्पुरुषेण इति), गरुड १.५०.८(स्नान के प्रकार), १.२०६(वैदिक मन्त्रों सहित स्नान विधि), देवीभागवत ११.१४(भस्म स्नान का माहात्म्य), नारद १.७९.२३९(भस्म स्नान), २.४०(गङ्गा स्नान), २.४९(काशी में स्नान), २.५१(गोदा व पञ्चनद में स्नान), २.५६(समुद्र में स्नान), २.५८(जगन्नाथ का स्नान), २.६०(पूर्णिमा स्नान), २.६२(प्रयाग स्नान), पद्म १.१८(सरस्वती स्नान), १.२०(पुष्कर स्नान), १.२०.१५०(मृत्तिका स्नान), १.३१(श्रावण पञ्चमी को नागतीर्थ में स्नान), १.४७(स्नान के प्रकार), १.४९(स्नान जल से प्राणी मात्र की तुष्टि), २.९२(रेवा - कुब्जा सङ्गम में स्नान), ३.२३(नर्मदा स्नान), ३.२७(तीर्थों में स्नान), ४.१०(ग्रहण काल में स्नान), ५.८७(वैशाख स्नान), ५.९३(रेवा में स्नान), ५.९७(वैशाख स्नान), ५.१००(वैशाख स्नान), ६.९३(कार्तिक स्नान विधि व नियम), ६.११७(कार्तिक स्नान, स्नान के प्रकार), ६.११९(माघ स्नान), ६.१२२(नरक चतुर्दशी स्नान), ६.१२५(माघ स्नान), ६.२०१(निगमोद्बोध तीर्थ में स्नान), ७.४(प्रयाग में स्नान), ब्रह्म १.५४(मार्कण्डेय ह्रद में स्नान), १.५९(समुद्र में स्नान), १.६२(कृष्ण स्नान), २.७(गोदावरी में स्नान), ब्रह्माण्ड १.२.२७.१२१(भस्म स्नान), भविष्य १.११४(आदित्य स्नान), १.११७(सूर्य प्रतिमा का स्नान), १.१३५(भास्कर स्नान), १.१६३(सूर्य स्नान), १.१९९(सूर्य स्नान), ४.१२२(माघ स्नान), ४.१२३(नित्य स्नान), ४.१२४(रुद्र स्नान), ४.१२५(चन्द्रादित्य स्नान, ग्रहण स्नान), भागवत ४.२.१५(शिव के चिता भस्म कृत स्नान वाले होने का उल्लेख), मत्स्य ६७(ग्रहण काल में स्नान), १०२(स्नान विधि), लिङ्ग १.२५(वारुण स्नान, भस्म स्नान, मन्त्र स्नान आदि प्रकार व विधि), वराह १४०(विष्णुपद स्नान), १४७(गोनिष्क्रमण स्नान), १६३(वैकुण्ठ स्नान), विष्णुधर्मोत्तर १.८९(नक्षत्र पीडा अनुसार स्नान), १.९१(ग्रह, नक्षत्र स्नान), २.५३(पुत्रीय रोहिणी स्नान ), २.५७(शतभिषा स्नान), २.८४(वेतस मूल स्नान ?), २.९६(कृत्तिका स्नान), २.९८(साधारण स्नान), २.९९(नक्षत्र स्नान), २.१०२(जन्म नक्षत्र स्नान), २.१०३(बार्हस्पत्य स्नान), २.१०४(रोगी स्नान, दिक्पाल स्नान), २.१०५(विनायक विघ्न नाशार्थ स्नान), २.१०६(माहेश्वर स्नान), २.१०७(नानाविध स्नान), २.१०८(पुरुषोत्तम पादोदक स्नान), २.११०(भगवत् स्नान), ३.१११(बृहत् स्नान, स्नान मन्त्र), ३.२७७(स्नान की प्रशंसा), शिव ७.२.२१, स्कन्द १.२.१(पञ्चाप्सरस तीर्थ में स्नान), २.१.१२+ (स्वामिपुष्करिणी में स्नान), २.१.२१(आकाशगङ्गा में स्नान), २.१.२६(तुम्बुरु - प्रोक्त माघ स्नान का माहात्म्य), २.१.२६(घोण माधव स्नान), २.१.२७(षट्तीर्थ में स्नान का काल), २.१.३४(स्वर्णमुखरी में स्नान का काल), २.१.४०(आकाशगङ्गा में स्नान), २.२.३०(समुद्र में स्नान विधि), २.२.३०+ (ज्येष्ठ मास में स्नान), २.२.३०.१(श्रीपति के जन्म स्नान की विधि का प्रश्न), २.२.३१(ज्येष्ठ मास में भगवद् विग्रहों का स्नान), २.२.३१.२(नरसिंह आकृति हरि को स्नान कराने की विधि का वर्णन), २.२.३३, २.२.४१(पुष्य स्नान), २.४.४(कावेरी व पञ्चनदी में स्नान की विधि), २.४.४.७९(स्नान के ४ प्रकार : वायव्य, वारुण, दिव्य व ब्राह्म), २.५.२(प्रात: स्नान), २.५.५(पञ्चामृत स्नान, शङ्खोदक स्नान), २.५.१४(द्वादशी स्नान), २.७.४(गृह स्नान), २.७.१४(वैशाख स्नान), २.८.६(सरयू - घर्घरी सङ्गम में स्नान), २.८.१०(पांच मानस तीर्थों में स्नान), ३.१.२०(जटा तीर्थ में स्नान), ३.१.२९(सर्वतीर्थ में स्नान), ३.१.३०(धनुष्कोटि में स्नान), ३.२.५(नित्य स्नान), ४.१.३(मणिकर्णिका में स्नान), ४.१.३५.९६(मन्त्र सहित स्नान विधि), ५.३.३६(दारु तीर्थ में स्नान), ४.१.३५.८८(वैदिक कर्मों सहित स्नान की विधि), ५.३.१६८.४०, ५.३.१७७.७(स्नान के प्रकार), ५.३.२२०.२७, ६.१९०(ब्रह्मा के यज्ञ में अवभृथ स्नान का वर्णन), ६.२३३(चातुर्मास काल में स्नान का माहात्म्य), ६.२३९.२५(चातुर्मास में विष्णु को स्नान कराने का कथन ), हरिवंश २.७८.२२, snaana/ snana
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